रबी का सीजन प्रारंभ हो चुका है। ऐसे में खेतों की जुताई की जा रही है ताकि खेतों को बुवाई के लिए तैयार किया जा सके। बहुत सारे खेतों में अब भी पराली की समस्या बनी हुई है, जिसके कारण खेतों को पुनः तैयार करने में परेशानी आ रही है। खेतों से फसल अवशेषों को निपटाना बड़ा ही चुनौतीपूर्ण काम है, इसमें बहुत ज्यादा समय की बर्बादी होती है। अगर किसान एक बार पराली का प्रबंधन कर भी ले, तो इसके बाद भी खेत से बची-कुची ठूंठ को निकालने में भी किसान को कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। लेकिन यदि आज की आधुनिक खेती की बात करें तो बाजार में ऐसी कई मशीनें मौजूद है जो इस समस्या का समाधान चुटकियों में कर देंगी। इन मशीनों के प्रयोग से अवशेष प्रबंधन के साथ-साथ खेतों की उर्वरा शक्ति में भी बढ़ोत्तरी होगी। ऐसी ही एक मशीन आजकल बाजार में आ रही है जिसे रोटरी हार्वेस्टर मशीन कहा जाता है। यह मशीन फसल के अवशेषों को नष्ट करके खेत में ही फैला देती है। यह मशीन किसानों के लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकती है। इस मशीन के फायदों को देखते हुए बिहार सरकार ने मशीन की खरीद पर किसानों को 80 प्रतिशत तक की सब्सिडी देने के लिए कहा है।
खेती किसानी एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें हमेशा अनिश्चितताएं बनी रहती हैं। कभी भी मौसम की मार किसानों की साल भर की मेहनत पर पानी फेर सकती है। मौसम की बेरुखी के कारण किसानों को जबरदस्त नुकसान झेलना पड़ता है।
अगर पिछले कुछ दिनों की बात करें तो देश भर में मौसम ने अपना कहर बरपाया है, जिससे लाखों किसान बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। कई दिनों तक चली बरसात और ओलावृष्टि के कारण किसानों की फसलें तबाह हो गईं।
सबसे ज्यादा नुकसान गेहूं, चना, मसूर और सरसों की फसलों को हुआ है। ऐसे नुकसान से बचने के लिए सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना चलाई है, जिससे किसानों को हुए नुकसान की भरपाई आसानी से की जा सकती है।
लेकिन कई बार देखा गया है कि किसान इस योजना के साथ नहीं जुड़ते। ऐसे में किसानों को सरकार अपने स्तर पर अनुदान देती है ताकि किसान अपने पैरों पर खड़े रह पाएं।
किसानों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए बिहार की सरकार ने 'कृषि इनपुट अनुदान योजना' चलाई है। इस योजना के तहत यदि किसानों की फसलों को प्राकृतिक आपदा के कारण किसी भी प्रकार का नुकसान होता है तो सरकार अनुदान के रूप में किसानों को 13,500 रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान करेगी।
यह मदद ऐसे किसानों को दी जाएगी जो सिंचित इलाकों में खेती करते हों। इसके साथ ही 'कृषि इनपुट अनुदान योजना' के अंतर्गत असिंचित इलाकों में खेती करने वाले किसानों को फसल नुकसान पर 6,800 रुपये की आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाई जाएगी।
राज्य के ऐसे कई इलाके हैं जहां पर नदियों से आने वाली रेत के कारण फसल चौपट हो जाती है। ऐसे किसानों को फसल नुकसान पर 12,200 रुपये का अनुदान दिया जाएगा।
डीबीटी के माध्यम से अनुदान ट्रांसफर करने में आसानी हो, इसके लिए किसान का बैंक खाता उसके आधार कार्ड नंबर से लिंक होना चाहिए।
ये भी पढ़े: बेमौसम बरसात से हुए नुकसान का किसानों को मिलेगा मुआवजा, सरकार ने जारी किए करोड़ों रुपये
इस वेबसाइट पर जाकर किसान खुद को रजिस्टर कर सकते हैं। इसके साथ ही आवेदन करने के लिए अपने जिले के कृषि विभाग के कार्यालय, वसुधा केंद्र या जन सेवा केंद्र पर भी संपर्क कर सकते हैं।
बिहार सरकार एकीकृत बागवानी मिशन योजना के अंतर्गत राज्य के कृषकों को मशरूम की खेती करने पर 50 फीसद तक अनुदान की सुविधा दी जा रही है। जिससे कि राज्य में मशरूम पैदावार के साथ-साथ मशरूम की आमदनी में भी बढ़ोतरी हो सके। मशरूम की खेती कर कृषक कम समय में शानदार आमदनी कर सकते हैं। लेकिन, इसके लिए किसानों को मशरूम की खेती से जुड़ी सही जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है।
आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि मशरूम की खेती के लिए सरकार की ओर से भी आर्थिक तौर पर सहायता की जाती है। इसी कड़ी में अब बिहार सरकार ने राज्य के किसानों को मशरूम की खेती करने के लिए शानदार अनुदान की सुविधा उपलब्ध की है। दरअसल, बिहार सरकार की तरफ से मशरूम की खेती करने वाले कृषकों को तकरीबन 50 फीसद तक की सब्सिड़ी दी जाएगी, जिससे राज्य में मशरूम की पैदावार के साथ-साथ कृषकों की आय में भी बढ़ोतरी हो सके। मशरूम की खेती पर सब्सिडी की यह सुविधा सरकार एकीकृत बागवानी मिशन योजना के अंतर्गत उपलब्ध करवा रही है। ऐसी स्थिति में आइए बिहार सरकार की ओर से किसानों को मिलने वाली मशरूम की खेती पर अनुदान के विषय में विस्तार से जानते हैं।
बिहार सरकार के द्वारा एकीकृत बागवानी मिशन योजना के अंतर्गत मशरूम की खेती पर किसानों को सब्सिडी की सुविधा शुरू की गई है। सरकार की ओर से इस योजना के लिए कुछ दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं, जिसके अंतर्गत मशरूम उत्पादन इकाई का खर्चा लगभग 20 लाख रुपये तय किया गया है, जिसमें से राज्य के कृषकों को तकरीबन 10 लाख रुपये तक के अनुदान की सुविधा प्राप्त होगी। ऐसा कहा जा रहा है, कि सरकार की इस योजना में मशरूम स्पॉन एवं मशरूम कंपोस्ट पर 50 फीसद की आर्थिक सहायता मिलेगी।
ये भी पढ़ें: आर्थिक तंगी के चलते महिला किसान ने शुरू की मशरूम की खेती, आज कमा रही लाखों का मुनाफा
बिहार राज्य में किसान भाइयों को फसलों पर दवा छिड़काव के लिए मोटा अनुदान दिया जाऐगा। किसान भाई इस अनुदान का लाभ उठाने के लिए कृषि विभाग के डीबीटी पोर्टल पर ड्रोन के माध्यम से दवा छिड़कने के लिए आवेदन कर सकते हैं।
खेत में खड़ी फसल की शानदार उपज पाने के लिए किसान भाई विभिन्न प्रकार के कार्य करते हैं। कृषक फसल अच्छी हो फसल पर कीटों का प्रकोप ना हो इसके लिए उस पर कीटनाशक का स्प्रे करते हैं। आज हम आपको इसी से जुड़ी एक खुशखबरी सुनाने जा रहे हैं।
फसल सुरक्षा योजना में पहली बार ड्रोन के जरिए से कीटनाशकों का छिड़काव शम्मिलित किया गया है। बिहार सरकार किसानों को प्रति एकड़ कीटनाशक छिड़काव करने के लिए 50% प्रतिशत रुपये देगी। कीटनाशकों के छिड़काव के लिए एक सेवा प्रदाता चयनित किया गया है। 15 जनवरी से आवेदन प्रक्रिया शुरू हो गई थी।
ये भी पढ़ें: इस राज्य में फसल पर ड्रोन से छिड़काव व निगरानी बिल्कुल मुफ्त में की जाएगी
रैयत एवं गैर-रैयत किसान दोनों ही इसका फायदा प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए कृषकों को आवेदन करने के दौरान शपथ पत्र या पंचायत प्रतिनिधि का सुझाव पत्र भी देना पड़ेगा। योजना के अंतर्गत किसान ड्रोन से छिड़काव को कम से कम एक एकड़ और अधिकतम 10 एकड़ में कर सकता है।
किसानों को ड्रोन से दवा का छिड़काव करने पर 480 रुपये प्रति एकड़ की लागत आऐगी। सरकार इस पर पचास फीसद यानी 240 रुपये का अनुदान देगी। अन्य 240 रुपये किसान को देने होंगे। किसानों को कृषि विभाग व कृषि वैज्ञानिकों की ओर से अनुशंसित नहीं किए गए कीटनाशकों का उपयोग करना चाहिए। ड्रोन किसानों को आलू, मक्का, गेहूं, दलहन, तिलहन और अन्य फसलों पर कीटों को नियंत्रित करने में सहायता कर सकते हैं। कृषि विभाग के डीबीटी पोर्टल पर पंजीकृत किसानों को ही योजना का फायदा मिलेगा।
किसान कृषि विभाग के डीबीटी पोर्टल पर ड्रोन के जरिए दवा छिड़कने के लिए आवेदन कर सकते हैं। आवेदन करते वक्त आपको आधार कार्ड, जमीन का रकबा, फसल का प्रकार और जमीन की रसीद देनी होगी। प्राप्त आवेदनों का सत्यापन कृषि समन्वयक, पौधा संरक्षण कर्मी, प्रखंड तकनीकी एवं सहायक प्रबंधक करेंगे। चयनित एजेंसी ड्रोन के माध्यम से दवा का छिड़काव करेगी। ड्रोन से छिड़काव करने से किसानों का स्वास्थ्य खराब नहीं होगा। जबकि मशीनों से छिड़काव करने में ज्यादा पानी, श्रम और धन की जरूरत होती है।