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बिहार कृषि

बिहार में खाद की भयंकर कमी, मांग के मुकाबले यूरिया की आपूर्ति में 22 फीसदी की कमी

बिहार में खाद की भयंकर कमी, मांग के मुकाबले यूरिया की आपूर्ति में 22 फीसदी की कमी

1 अप्रैल से 12 सितंबर के बीच, बिहार सरकार को बिहार कृषि विभाग से जानकारी मिली कि बिहार को खरीफ सीजन के लिए 10,100 मीट्रिक टन खाद की जरूरत है। लेकिन आंकड़ों के मुताबिक अब तक केंद्र सरकार ने सिर्फ 7.89576 मीट्रिक टन खाद की आपूर्ति की है। खरीफ फसल का मौसम चल रहा है। खरीफ मौसम की मुख्य फसल धान देशभर में उगाई जाती है। वहीं, इस सीजन में खाद की मांग सबसे ज्यादा होती है। बिहार में इस खरीफ सीजन में खाद की आपूर्ति नही होना किसानों के लिए सबसे बड़ी समस्या है। इससे किसानों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार ने बिहार को खरीफ सीजन के दौरान पिछले सालों की तुलना में यूरिया का आबंटन बहुत ही कम किया है। बिहार सरकार के अनुसार, केंद्र सरकार ने पीक सीजन (जून से अगस्त) के दौरान उपयोग के लिए आबंटित यूरिया की मात्रा को 22 फ़ीसदी कम कर दिया है।

इतने खाद की है आवश्यकता

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक बिहार को खरीफ सीजन 1 अप्रैल से 12 सितंबर तक 10.100 मीट्रिक टन खाद की जरूरत थी। केंद्र सरकार ने इस वर्ष अब तक 7.89576 मीट्रिक टन खाद की आपूर्ति की है, जो आवश्यकता अनुपात का 78% है। ये भी पढ़े: डीएपी जमाखोरी में जुटे कई लोग, बुवाई के समय खाद की किल्लत होना तय बिहार सरकार द्वारा सार्वजनिक किए गए आंकड़ों के अनुसार जून में 1.20 लाख मीट्रिक टन की आवश्यकता के मुकाबले 1.03 लाख मीट्रिक टन खाद दी गई. इसी प्रकार जुलाई में  2.50 लाख मीट्रिक टन की आवश्यकता थी, लेकिन जुलाई में 1.72 लाख मीट्रिक टन खाद की आपूर्ति की गई, और अगस्त में 2.80 लाख मीट्रिक टन की आवश्यकता के मुकाबले 2.51 लाख मीट्रिक टन की आपूर्ति की गई। पिछले खरीफ सीजन के दौरान भी कम आपूर्ति देखी गई थी। पिछले खरीफ सीजन में बिहार सहित कई क्षेत्रों में उर्वरक की भारी किल्लत थी। इसके चलते किसानों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। उस वक्त भी बिहार के लिए जरूरी यूरिया का महज 77 फीसदी ही मुहैया कराया गया था। ये भी पढ़े: इफको ने देश भर के किसानों के लिए एनपी उर्वरक की कीमत में कमी की बिहार के दौरे के दौरान, केंद्रीय उर्वरक राज्य मंत्री भगवंत खुबा ने नीतीश कुमार पर केंद्र से लगातार और पर्याप्त शिपमेंट के बावजूद उर्वरक की कमी का नाटक करने का आरोप लगाया है। उर्वरक राज्य मंत्री ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा की नीतीश कुमार को किसानों को गुमराह करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए, किसानों के लिए नरेंद्र मोदी की सरकार ने हमेशा कार्य किया है। किसानों से अनुरोध करते हुए उन्होंने कहा की वे यूरिया खरीदारी पर दर से अधिक पैसा न दें, क्योंकि नरेंद्र मोदी की सरकार किसानों की खातिर यूरिया, डीएपी, एनपीके और अन्य कृषि आदानों पर भारी सब्सिडी दे रही है। मंत्री जी ने ये भी कहा कि सरकार को राजनीतिक उद्देश्यों के लिए किसानों को निशाना नहीं बनाना चाहिए। प्रशासकों को किसानों को सब्सिडी वाले उर्वरकों के उपयोग के उनके अधिकार के बारे में सूचित करने के लिए निर्देश भी दिए जाते हैं। ये भी पढ़े: डीएपी के लिए मारामारी,जानिए क्या है समाधान वही वर्तमान समय में उर्वरक की भारी कमी और इसकी बढ़ती कालाबाजारी और अवैध रूप से बिक्री के कारण पूरे बिहार के किसान चिंतित और आक्रोशित हैं।
बिहार में मशरूम की खेती करने पर सरकार दे रही 90 फीसदी अनुदान

बिहार में मशरूम की खेती करने पर सरकार दे रही 90 फीसदी अनुदान

पटना। मशरूम यानी कुकुरमुत्ता (कवक - Mushroom) की खेती को बढ़ावा देने के लिए बिहार सरकार ने बड़ा एलान किया है। बिहार सरकार ने राज्य के किसानों को मशरूम की खेती करने पर 90 फीसदी तक अनुदान देने की घोषणा की है। अभी तक बिहार में किसान परम्परागत खेती ही करते रहे हैं। लेकिन इस बार मशरूम की खेती की ओर किसानों का ध्यान आकर्षित करने के लिए सरकार ने एक अच्छी मुहिम शुरू की है। इस साल मशरूम की खेती पर 90 फीसदी तक अनुदान देकर सरकार मशरूम की खेती पर जोर दे रही है।

मुख्यमंत्री बागवानी मिशन योजना से मिलेगा अनुदान

बिहार सरकार मशरूम की खेती करने वाले किसानों को 'मुख्यमंत्री बागवानी मिशन' के तहत 90 फीसदी तक अनुदान दे रही है। योजना में शामिल होने के लिए किसानों से आवेदन मांगे जा रहे हैं, किसानों में भी इस योजना को लेकर खासा उत्साह दिखाई दे रहा है। ये भी पढ़े: मशरूम के इस मॉडल से खड़ा किया 50 लाख का व्यवसाय

खगरिया जिले में 500 किसान कर रहे हैं मशरूम की खेती

बिहार में अभी तक खगरिया जिले में तकरीबन 500 किसान मशरूम की खेती कर रहे हैं। सरकार द्वारा मशरूम की खेती पर प्रोत्साहन राशि मिलने के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि मशरूम की खेती करने वाले किसानों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हो सकती है।

झोंपड़ी में मशरूम की खेती से किसान की आमदनी होगी दोगुनी

राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत झोंपडी में मशरूम की खेती करने वाले किसानों की आमदनी दोगुनी हो सकती है। इस योजना के तहत किसानों को अलग से 50 फीसदी तक अनुदान दिया जा रहा है। झोंपड़ी बनाने से लेकर मशरूम की खेती करने तक आने वाली लागत पर 50 फीसदी अनुदान देने का प्रावधान रखा गया है, इस कुल लागत का 50 प्रतिशत खर्च यानि 20 लाख रुपए की लागत में 10 लाख रुपये सब्सिडी के रूप में राज्य सरकार वहन करेगी और शेष धनराशि किसान को लगानी होगी।

मशरूम पर अनुदान के लिए ऐसे करें आवेदन

मुख्यमंत्री बागवानी विकास मिशन के तहत मशरूम की खेती पर सब्सिडी का लाभ लेने के लिए बिहार कृषि विभाग, उद्यान निदेशालय की आधिकारिक वेबसाइट http://horticulture.bihar.gov.in/ पर आवेदन कर सकते हैं। अगर किसान चाहें तो इस योजना से संबंधित अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए अपने नजदीकी जिले के उद्यान विभाग कार्यालय में जाकर सहायक निदेशक से भी संपर्क किया जा सकता है।
रोटरी हार्वेस्टर मशीन पर 80 प्रतिशत सब्सिडी दे रही है ये राज्य सरकार, यहां करें आवेदन

रोटरी हार्वेस्टर मशीन पर 80 प्रतिशत सब्सिडी दे रही है ये राज्य सरकार, यहां करें आवेदन

रबी का सीजन प्रारंभ हो चुका है। ऐसे में खेतों की जुताई की जा रही है ताकि खेतों को बुवाई के लिए तैयार किया जा सके। बहुत सारे खेतों में अब भी पराली की समस्या बनी हुई है, जिसके कारण खेतों को पुनः तैयार करने में परेशानी आ रही है। खेतों से फसल अवशेषों को निपटाना बड़ा ही चुनौतीपूर्ण काम है, इसमें बहुत ज्यादा समय की बर्बादी होती है। अगर किसान एक बार पराली का प्रबंधन कर भी ले, तो इसके बाद भी खेत से बची-कुची ठूंठ को निकालने में भी किसान को कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। लेकिन यदि आज की आधुनिक खेती की बात करें तो बाजार में ऐसी कई मशीनें मौजूद है जो इस समस्या का समाधान चुटकियों में कर देंगी। इन मशीनों के प्रयोग से अवशेष प्रबंधन के साथ-साथ खेतों की उर्वरा शक्ति में भी बढ़ोत्तरी होगी। ऐसी ही एक मशीन आजकल बाजार में आ रही है जिसे रोटरी हार्वेस्टर मशीन कहा जाता है। यह मशीन फसल के अवशेषों को नष्ट करके खेत में ही फैला देती है। यह मशीन किसानों के लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकती है। इस मशीन के फायदों को देखते हुए बिहार सरकार ने मशीन की खरीद पर किसानों को 80 प्रतिशत तक की सब्सिडी देने के लिए कहा है।

क्या है रोटरी हार्वेस्टर मशीन

इस मशीन को रोटरी मल्चर भी कहा जाता है, यह मशीन बेहद आसानी से खेत में बचे हुए अनावश्यक अवशेषों को नष्ट करके खेत में फैला देती है, जिसके कारण खेत में पर्याप्त नमी बरकरार रहती है। इसके साथ ही खेत में फैले हुए अवशेष डीकंपोज होकर खाद में तब्दील हो जाते हैं। अवशेषों के प्रबंधन की बात करें तो यह मशीन खेत में उम्दा प्रदर्शन करती है।

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रोटरी हार्वेस्टर मशीन पर बिहार सरकार कितनी देती है सब्सिडी

अगर रोटरी हार्वेस्टर मशीन की बात करें तो उस मशीन पर बिहार सरकार किसानों को 75 से 80 प्रतिशत तक सब्सिडी प्रदान करती है। यह सब्सिडी बिहार का कृषि विभाग 'कृषि यंत्रीकरण योजना' के अंतर्गत किसानों को उपलब्ध करवाता है। बिहार सरकार के द्वारा जारी आदेश के अनुसार यदि बिहार का सामन्य वर्ग का किसान रोटरी हार्वेस्टर मशीन लेने के लिए आवेदन करता है, तो उसे बिहार सरकार मशीन की खरीद पर 75 प्रतिशत तक की सब्सिडी या अधिकतम 1,10,000 रुपये प्रदान करेगी। इसके साथ ही यदि बिहार का एससी-एसटी, ओबीसी और अन्य वर्ग का किसान रोटरी हार्वेस्टर मशीन खरीदना चाहता है, तो आवेदन करने के बाद सरकार उसे रोटरी मल्चर पर 80 प्रतिशत तक सब्सिडी और रूपये में अधिकतम 1,20,000 रुपये की सब्सिडी प्रदान करेगी।

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रोटरी हार्वेस्टर मशीन पर सब्सिडी प्राप्त करने के लिए ऐसे करें आवेदन

बिहार सरकार के आदेश के अनुसार रोटरी हार्वेस्टर मशीन पर सब्सिडी प्राप्त करने के लिए किसान को बिहार का निवासी होना जरूरी है। साथ ही उसके पास कृषि योग्य भूमि भी होनी चाहिए। ऐसे किसान जो रोटरी हार्वेस्टर मशीन पर सब्सिडी प्राप्त चाहते हैं, वो बिहार कृषि विभाग के पोर्टल https://dbtagriculture.bihar.gov.in/ पर जाकर अपना ऑनलाइन आवेदन भर सकते हैं। किसानों को ऑनलाइन आवेदन भरते समय आधार कार्ड, पैन कार्ड, जमीन के कागजात, पासपोर्ट साइज फोटो, बैंक खाता संख्या और मोबाइल नंबर अपने साथ रखना चाहिए। इनकी डीटेल आवेदन भरते समय किसान से मांगी जाएगी। इसके अलावा यदि किसान कृषि यंत्रों से संबंधित किसी भी प्रकार की अन्य जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो वो कृषि विभाग के हेल्पलाइन नंबर 18003456214 पर भी संपर्क कर सकते हैं।

यह सरकार कर रही भूरा तना मधुआ कीटों से प्रभावित फसल की सुरक्षा के लिए आवश्यक प्रयास

यह सरकार कर रही भूरा तना मधुआ कीटों से प्रभावित फसल की सुरक्षा के लिए आवश्यक प्रयास

बिहार के कृषि मंत्री सर्वजीत कुमार द्वारा बताया गया है कि कृषि विभाग द्वारा भूरा तना मधुआ नामक कीट के प्रकोप से किसानों की धान की तैयार फसल की बर्बादी का आकलन हो रहा है। आकलन उपरांत विभाग के माध्यम से जरुरी कार्रवाई होगी। बिहार के अधिकतर किसान आज भी प्रकृति पर निर्भर हैं। उत्तरी बिहार में जहां बाढ़ के चलते फसलें बर्बाद हो जाती हैं, तो वहीं दूसरी तरफ मगध क्षेत्र में समय पर बरसात न होने पर किसानों को सुखाड़ का सामना करना पड़ता है। बिहार सरकार के माध्यम से इन प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए विभिन्न योजनाएं भी चलाई जा रही हैं। साथ ही, मुआवजा के रूप में धनराशि भी किसानों को दी जा रही है। लेकिन इन प्राकृतिक आपदाओं के अलावा भूरा तना मधुआ कीट भी किसानों के लिए सिर दर्द बन गया है, क्योंकि यह एकत्रित होकर थोड़े समय में ही फसल को बुरी तरह प्रभावित कर देते हैं। फिलहाल बिहार के किसानों को चिंतित होने की कोई आवश्यकता नहीं है, कृषि मंत्रालय द्वारा स्वयं इसके नियंत्रण के लिए प्रयास किया गया है।

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धान की खड़ी फसलों में न करें दवा का छिड़काव, ऊपरी पत्तियां पीली हो तो करें जिंक सल्फेट का स्प्रे कृषि मंत्री सर्वजीत कुमार ने गुरुवार को प्रेस वार्ता के दौरान पटना में कहा कि भूरा तना मधुआ कीट (बीपीएच - ब्राउन प्लांट हॉपर; brown plant hopper; या कत्थई फुदका ) धान की फसल के लिए सबसे ज्यादा नुकसानदेह साबित हो रहा है। खास कर इसके आक्रमण का प्रकोप गया, भोजपुर, बक्सर, नालंदा, लखीसराय एवं औरंगाबाद सहित प्रदेश के विभिन्न जनपदों में देखा जा रहा है। उन्होंने बताया कि कृषि विभाग द्वारा इससे किसानों को छुटकारा दिलाने के लिए आवश्यक कदम उठाया गया है। पंचायत स्तर से लेकर जिला स्तर तक पदाधिकारियों की देखरेख में एक विशेष अभियान चलाया जा रहा है।

फसल संरक्षण के लिए पूर्ण रूप से प्रयास हो रहा है

कृषि मंत्री ने बताया है कि पौधा संरक्षण संभाग के माध्यम से भूरा तना मधुआ कीट के नियंत्रण हेतु निर्धारित कीटनाशी का इस्तेमाल कर किसानों द्वारा कटाई के लिये तैयार धान की फसल को हानि से बचाने के प्रयास किये जा रहे हैं। निर्धारित कीटनाशी प्रति एकड़ 225-250 लीटर पानी में मिला कर, छिड़काव तने की ओर करें व प्रभावित क्षेत्र से 10 फीट की दूरी तक चारों ओर छिड़काव करें। ध्यान रखें की छिड़काव के वक्त खेत में अत्यधिक जल-जमाव न हो। उन्होंने कहा है कि इन कीटों द्वारा धान के तनों से रस को चूसने के कारण फसल को भारी क्षति पहुंचती है। इन हल्के-भूरे रंग के कीटों का जीवन चक्र 20-25 दिनों तक का होता है। बड़े और छोटे दोनों प्रकार के कीट पौधों के तने के मुख्य हिस्से पर रहकर रस चूसते हैं। ज्यादा रस निकलने के कारण धान के पौधों में पीलापन आ जाता है, साथ ही जगह-जगह पर चटाईनुमा आकार सा हो जाता है, जिसे ‘हॉपर बर्न’ (hopper burn) नाम से जाना जाता है।
1 अप्रैल को बिहार सरकार लांच करने जा रही है कृषि रोड मैप ; जाने किस तरह से होगा बदलाव

1 अप्रैल को बिहार सरकार लांच करने जा रही है कृषि रोड मैप ; जाने किस तरह से होगा बदलाव

बिहार सरकार प्रदेश का चौथा कृषि रोडमैप 1 अप्रैल को लॉन्च करने वाली है और माना जा रहा है कि यह बिहार के किसानों के लिए एक बहुत बड़ी खुशखबरी बनकर सामने आएगा. बिहार सरकार में से जुड़ी हुई सभी तरह की तैयारियां कर ली है. इस कृषि रोडमैप की अवधि को 5 साल रखा गया है और कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार इसमें फसल विविधीकरण,  पशु चिकित्सा,  उच्च खाद्यान्न उत्पादन और कृषि की बेहतर विपणन सुविधाओं की तरफ ध्यान दिया जाएगा. इसके अलावा 21 फरवरी को पटना में राज्य भर के किसानों और कृषकों के लिए एक सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है जहां पर आने वाले रोड मैप में शामिल करने के लिए अलग-अलग तरह की आवश्यकता के बारे में किसानों से फीडबैक लिया जाएगा. फिलहाल राज्य की कृषि नीतियां रोड मैप तीसरे संस्करण में चल रहा है जिसे कोविड-19 के कारण मार्च 2023 तक बढ़ाकर आगे कर दिया गया था. सरकार के कृषि सचिव एन सरवण कुमार ने कहा है कि पिछले कुछ समय से वैज्ञानिकों और एक्सपर्ट के अलावा हितधारकों से भी फीडबैक लेने का प्रचलन चालू हो गया है/ सरकार द्वारा इस बार के कृषि रोड मैप में बाजरा तिलहन और दाल जैसे फसल के उत्पादन पर जोर देने की बात की जा रही है.

2007 में  लांच किया गया था पहला संस्करण

अधिकारियों से हुई बातचीत से पता चला है कि डिजिटल कृषि की ओर ज्यादा ध्यान दिया जाएगा और इसके तहत किसानों को मौसम से जुड़े हुए ताजा अपडेट पहले ही मिल जाएंगे.इसके अलावा ड्रोन के माध्यम से यूरिया का उपयोग भी रोड मैप का एक अहम बिंदु माना जा रहा है. नैनो यूरिया एक प्रकार का उर्वरक है जिसे दानेदार उर्वरक की तुलना में ज्यादा लाभकारी माना गया है और साथ ही यह कम मात्रा में भी इस्तेमाल होता. ये भी पढ़े: किसान ड्रोन की सहायता से 15 मिनट के अंदर एक एकड़ भूमि में करेंगे यूरिया का छिड़काव इस रोड मैप के तहत कृषि विपणन पर भी काफी ध्यान दिया जाएगा और खाद्यान्न का ज्यादा से ज्यादा उत्पादन करना इसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा होगा. कृषि रोडमैप का पहला संस्करण नीतीश कुमार द्वारा 2007 में लांच किया गया था.
प्राकृतिक आपदाओं से फसल नुकसान होने पर किसानों को मिलेगा बम्पर मुआवजा, ऐसे करें आवेदन

प्राकृतिक आपदाओं से फसल नुकसान होने पर किसानों को मिलेगा बम्पर मुआवजा, ऐसे करें आवेदन

खेती किसानी एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें हमेशा अनिश्चितताएं बनी रहती हैं। कभी भी मौसम की मार किसानों की साल भर की मेहनत पर पानी फेर सकती है। मौसम की बेरुखी के कारण किसानों को जबरदस्त नुकसान झेलना पड़ता है।

अगर पिछले कुछ दिनों की बात करें तो देश भर में मौसम ने अपना कहर बरपाया है, जिससे लाखों किसान बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। कई दिनों तक चली बरसात और ओलावृष्टि के कारण किसानों की फसलें तबाह हो गईं। 

सबसे ज्यादा नुकसान गेहूं, चना, मसूर और सरसों की फसलों को हुआ है। ऐसे नुकसान से बचने के लिए सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना चलाई है, जिससे किसानों को हुए नुकसान की भरपाई आसानी से की जा सकती है।

लेकिन कई बार देखा गया है कि किसान इस योजना के साथ नहीं जुड़ते। ऐसे में किसानों को सरकार अपने स्तर पर अनुदान देती है ताकि किसान अपने पैरों पर खड़े रह पाएं। 

किसानों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए बिहार की सरकार ने 'कृषि इनपुट अनुदान योजना' चलाई है। इस योजना के तहत यदि किसानों की फसलों को प्राकृतिक आपदा के कारण किसी भी प्रकार का नुकसान होता है तो सरकार अनुदान के रूप में किसानों को 13,500 रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान करेगी। 

यह मदद ऐसे किसानों को दी जाएगी जो सिंचित इलाकों में खेती करते हों। इसके साथ ही 'कृषि इनपुट अनुदान योजना' के अंतर्गत असिंचित इलाकों में खेती करने वाले किसानों को फसल नुकसान पर 6,800 रुपये की आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाई जाएगी। 

राज्य के ऐसे कई इलाके हैं जहां पर नदियों से आने वाली रेत के कारण फसल चौपट हो जाती है। ऐसे किसानों को फसल नुकसान पर 12,200 रुपये का अनुदान दिया जाएगा।

कृषि इनपुट अनुदान योजना का लाभ लेने के लिए ये किसान कर सकते हैं आवेदन

कृषि इनपुट अनुदान योजना का लाभ लेने के लिए किसान को बिहार का स्थायी निवासी होना जरूरी है। इसके साथ ही किसान के पास खुद की कम से कम 2 हेक्टेयर कृषि भूमि होना चाहिए। 

डीबीटी के माध्यम से अनुदान ट्रांसफर करने में आसानी हो, इसके लिए किसान का बैंक खाता उसके आधार कार्ड नंबर से लिंक होना चाहिए। 

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योजना का लाभ लेने के लिए ये दस्तावेज होंगे जरूरी

इस योजना का लाभ लेने के लिए किसान के पास आधार कार्ड, पैन कार्ड, निवास प्रमाण पत्र, वोटर आई डी, मोबाइल नंबर, पासपोर्ट साइज फोटो, घोषणा पत्र, आय प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र आदि होना जरूरी है। इन सभी चीजों का विवरण आवेदन करते समय देना अनिवार्य है।

कृषि इनपुट अनुदान योजना का लाभ लेने के लिए ऐसे करें आवेदन

प्राकृतिक आपदाओं से फसल को होने वाले नुकसान का अनुदान प्राप्त करने के लिए किसान भाई बिहार के कृषि विभाग की वेबसाइट https://dbtagriculture.bihar.gov.in/ पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। 

इस वेबसाइट पर जाकर किसान खुद को रजिस्टर कर सकते हैं। इसके साथ ही आवेदन करने के लिए अपने जिले के कृषि विभाग के कार्यालय, वसुधा केंद्र या जन सेवा केंद्र पर भी संपर्क कर सकते हैं।

जर्दालु आम को समस्त राज्यपाल व LG को उपहार स्वरूप भेजेगा बिहार कृषि विश्वविद्यालय

जर्दालु आम को समस्त राज्यपाल व LG को उपहार स्वरूप भेजेगा बिहार कृषि विश्वविद्यालय

बिहार राज्य के भागलपुर जनपद को जर्दालु आम की वजह से ही प्रसिद्धि मिली है। बतादें, कि भागलपुर में सर्वाधिक जर्दालु आम के ही बाग हैं। जर्दालु आम एक अगेती किस्म है। इसी कड़ी में बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर ने यह निर्णय किया है, कि इस बार वह देश के समस्त राज्यपाल एवं उप राज्यपालों के लिए जर्दालु आम भेजा जाएगा। मतलब कि राज्यपाल समेत राजभवन के अधिकारियों द्वारा भी इसका स्वाद लिया जाएगा। साथ ही, विशेषज्ञों ने कहा है, कि कृषि विश्वविद्यालय के माध्यम से जर्दालु आम का विपणन और ब्रांडिंग करने हेतु निर्णय लिया गया है। अब हम यह जानेंगे कि जर्दालु आम में ऐसी कौनसी विशेषता है, जिसके चलते इसको भारत के समस्त राजभवनों को उपहार के तौर पर दिए जाने का फैसला लिया गया है। ये भी पढ़े: आम की खास किस्मों से होगी दोगुनी पैदावार, सरकार ने की तैयारी दैनिक जागरण की खबर के अनुसार, वैसे तो उत्तरी बिहार राज्य में विभिन्न प्रकार के आम की प्रजातियों का उत्पादन किया जाता है। परंतु, इनमें से जर्दालु आम सर्वाधिक प्रसिद्ध है। यह आम खुद के बेहतरीन स्वाद की वजह से जाना जाता है। इसकी मिठास मिश्री की भांति होती है। इसके अंदर रेशे ना के समान होते हैं। यही कारण है, कि जर्दालु आम मुंह में डालते ही मक्खन की भांति घुल जाता है। लोग इसका जूस निकालने हेतु विशेष रूप से इस्तेमाल करते हैं।

जर्दालु आम में कितना वजन होता है

भागलपुर जनपद को जर्दालु आम की वजह से ही जाना जाता है। भागलपुर में सर्वाधिक जर्दालु आम के बाग पाए जाते हैं। इसको आम की एक अगेती प्रजाति है। वैसे तो आम में मंजर बसंत के उपरांत आने चालू हो जाते हैं। परंतु, इसमें जनवरी माह से ही मंजर आने शुरू हो जाते हैं। बतादें कि 20 फरवरी के उपरांत टिकोले आम का रूप धारण कर लेते हैं, जो कि जून माह से पकने चालू हो जाते हैं। हालांकि, इससे पूर्व यह सेवन करने योग्य बाजार में आ जाते हैं। इस आम आकार भी अन्य किस्मों की तुलना में काफी बड़ा होता है। बतादें, कि इसके एक आम का वजन 200 ग्राम से ज्यादा होता है। साथ ही, इसका छिलका थोड़ा मोटा भी होता है। इस वजह से लोग इसको अचार लगाने में भी बेहद इस्तेमाल किया करते हैं।

25 टन आम का उत्पादन केवल एक हेक्टेयर के बगीचे से होता है

जर्दालु आम को उसके रंग से आसानी से पहचाना जा सकता है। पकने के उपरांत जर्दालु आम का रंग हलका पीला एवं नारंगी हो जाता है। अब इस स्थिति में लोग इसको सहजता से पहचाना जा सकता है। इसमें तकरीबन 67 फीसद गूदा रहता है। रेशा तो बिल्कुल मौजूद नहीं होता है। किसान भाई इसके एक पेड़ से एक सीजन में 2000 फलों की तुड़ाई कर सकते हैं। एक हेक्टेयर के बाग से 25 टन आम का उत्पादन मिलता है। बतादें, कि बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर इससे पूर्व भी बहुत सारे नेताओं एवं संवैधानिक पद पर विराजमान लोगों को जर्दालु आम भेजा जा चुका है। बीते वर्ष इसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं राष्ट्रपति को जर्दालु आम उपहार में दिया था। साथ ही, इसको विदेशों में भी नामचीन लोगों को उपहार स्वरुप दिया जाता रहा है।
इस राज्य में किसानों को निःशुल्क पौधे, 50 हजार रुपये की अनुदानित राशि भी प्रदान की जाएगी

इस राज्य में किसानों को निःशुल्क पौधे, 50 हजार रुपये की अनुदानित राशि भी प्रदान की जाएगी

बिहार सरकार बागवानी को प्रोत्साहन दे रही है। कृषकों को बागवानी क्षेत्र से जोड़ने के लिए सब्सिडी दी जा रही है। उनको शर्ताें के मुताबिक फ्री पौधे, आर्थिक तौर पर सहायता भी की जा रही है। भारत के कृषक अधिकांश बागवानी पर आश्रित रहते हैं। बतादें कि देश के राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार सहित समस्त राज्यों में बागवानी की जाती है। किसान लाखों रुपए की आमदनी कर लेते हैं। साथ ही, राज्य सरकारों के स्तर पर कृषकों को काफी सहायता दी जाती है। इसी कड़ी में बिहार सरकार की तरफ से एक अहम कवायद की गई है। राज्य सरकार से कृषकों को बागवानी हेतु नि:शुल्क पौधे मुहैय्या किए जाऐंगे। साथ ही, उनको मोटा अनुदान भी प्रदान किया जाएगा। राज्य सरकार की इस योजना से किसान काफी खुश नजर आ रहे हैं।

इस प्रकार किसानों को निःशुल्क पौधे दिए जाऐंगे

बिहार सरकार के अधिकारियों के मुताबिक, नालंदा जनपद में निजी जमीन पर 15 हेक्टेयर में आम का बगीचा लगाता है, तो उसको निःशुल्क पौधे दिए जाएंगे। सघन बागवानी मिशन के अंतर्गत 10 हेक्टेयर जमीन में आम का बगीचा लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। एक किसान 8 कट्ठा साथ ही ज्यादा से ज्यादा एक हेक्टेयर में पौधे लगा सकते हैं। 5 हेक्टेयर में अमरूद और 5 हेक्टेयर में केला और बाग लगाने वाले किसानोें को भी सब्सिड़ी प्रदान की जाएगी। ये भी पढ़े: बागवानी के साथ-साथ फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाकर हर किसान कर सकता है अपनी कमाई दोगुनी

योजना का लाभ पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर मिलेगा

किसान भाई इसका फायदा उठाने के लिए ऑनलाइन माध्यम से आवेदन किया जा सकता है। इसमें पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर चुनाव होगा। मतलब योजना के अंतर्गत जो पहले आवेदन करेगा। उसे ही योजना का फायदा मिल सकेगा। द्यान विभाग के पोर्टल (horticulture.bihar.gov.in) पर ऑनलाइन आवेदन कर आप योजना का फायदा उठा सकते हैं।

धनराशि इस प्रकार से खर्च की जाएगी

बिहार सरकार के मुताबिक, 50 फीसद अनुदान के उपरांत प्रति हेक्टेयर 50,000 रुपये के प्रोजेक्ट पर तीन किस्तों में धनराशि व्यय की जानी है। प्रथम वर्ष में 60 प्रतिशत तक धनराशि प्रदान की जाएगी। जो कि 30,000 रुपये तक होगी। एक हेक्टेयर में लगाए जाने वाले 400 पौधों का मूल्य 29,000 रुपये होगा। शेष धनराशि कृषकों के खाते में हस्तांतरित की जाएगी। द्वितीय वर्ष में 10 हजार, तीसरे वर्ष में भी 10 हजार रुपये का ही अनुदान मिलेगा। हालांकि, इस दौरान पौधों का ठीक रहना काफी जरूरी है। मुख्यमंत्री बागवानी मिशन के अंतर्गत 5 हेक्टेयर में आम का बाग लगाया जाना है। प्रति हेक्टेयर 100 पौधों पर 18 हजार रुपये खर्च किए जाऐंगे। आम की किस्मों में मल्लिका, बंबइया, मालदाह, गुलाब खास, आम्रपाली शम्मिलित हैं।
बिहार सरकार मशरूम की खेती के लिए 50 प्रतिशत अनुदान प्रदान कर रही है

बिहार सरकार मशरूम की खेती के लिए 50 प्रतिशत अनुदान प्रदान कर रही है

बतादें कि वर्तमान में बिहार सरकार मशरूम के ऊपर विशेष ध्यान केंद्रित कर रही है। बिहार सरकार का कहना है, कि मशरूम की खेती से राज्य के लघु एवं सीमांत किसानों की आमदनी में इजाफा किया जा सकता है। बिहार राज्य में किसान पारंपरिक फसलों समेत बागवानी फसलों का भी जमकर उत्पादन करते हैं। यही कारण है, कि बिहार मखाना, मशरूम, लंबी भिंडी और शाही लीची के उत्पादन में अव्वल दर्जे का राज्य बन चुका है। हालांकि, राज्य सरकार से किसानों को बागवानी फसलों की खेती करने के लिए बंपर सब्सिडी भी दी जा रही है. इसके लिए राज्य सरकार प्रदेश में कई तरह की योजनाएं चला रही हैं. इन योजनाओं के तहत किसानों को आम, लीची, कटहल, पान, अमरूद, सेब और अंगूर की खेती करने पर समय- समय पर सब्सिडी दी जाती है।

हजारों की संख्या में किसान अपने घर के अंदर ही मशरूम उगा रहे हैं

बतादें कि मशरूम बागवानी के अंतर्गत आने वाली फसल है। साथ ही, मशरूम की खेती में काफी कम खर्चा आता है। मशरूम उत्पादन हेतु खेत व सिंचाई की भी कोई आवश्यकता नहीं होती है। यदि किसान भाई चाहें तो अपने घर के अंदर भी मशरूम का उत्पादन कर सकते हैं। फिलहाल, बिहार में हजारों की तादात में किसान घर के अंदर ही मशरूम का उत्पादन कर रहे हैं। इससे उनको काफी अच्छी-खासी आमदनी भी हो रही है। दरअसल, मशरूम अन्य सब्जियों जैसे कि लौकी, फूलगोभी और करेला आदि की तुलना में महंगा बिकता है। अब ऐसी स्थिति में मशरूम की खेती करने पर किसानों को कम खर्च में अधिक मुनाफा होता है। यही वजह है, कि बिहार सरकार मशरूम की खेती पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रही है।

मशरूम कम्पोस्ट उत्पादन पर 50 फीसद अनुदान

वर्तमान में बिहार राज्य के मशरूम उत्पादकों के लिए काफी अच्छा अवसर है। बतादें, कि फिलहाल कृषि विभाग एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के अंतर्गत मशरूम कम्पोस्ट उत्पादन पर 50 प्रतिशत अनुदान मुहैय्या करा रही है। मुख्य बात यह है, कि राज्य सरकार द्वारा कंपोस्ट उत्पादन के लिए इकाई लागत 20 लाख रुपए तय की गई है। उद्यान निदेशालय की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर किसान भाई इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। यह भी पढ़ें: बिहार में मशरूम की खेती कर महिलाएं हजारों कमा हो रही हैं आत्मनिर्भर

बिहार में पिछले साल हजारों टन मशरूम की पैदावार हुई थी

बिहार राज्य में बागवानी फसलों को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार निरंतर कुछ न कुछ योजना जारी कर रही है। बिहार सरकार किसानों की आमदनी को बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। अगर किसान भाई चाहें, तो अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए प्रखंड उद्यान पदाधिकारी अथवा अपने जनपद के सहायक उद्यान निदेशक से सम्पर्क साध सकते हैं। बतादें, कि बिहार मशरूम उत्पादन के मामले में भारत के अंदर प्रथम स्थान पर है। इसके उपरांत दूसरे स्थान पर ओडिशा आता है। विगत वर्ष बिहार में 28000 टम मशरूम की पैदावार हुई थी।
Mushroom Farming: मशरूम की खेती पर 50 प्रतिशत अनुदान की सुविधा

Mushroom Farming: मशरूम की खेती पर 50 प्रतिशत अनुदान की सुविधा

बिहार सरकार एकीकृत बागवानी मिशन योजना के अंतर्गत राज्य के कृषकों को मशरूम की खेती करने पर 50 फीसद तक अनुदान की सुविधा दी जा रही है। जिससे कि राज्य में मशरूम पैदावार के साथ-साथ मशरूम की आमदनी में भी बढ़ोतरी हो सके। मशरूम की खेती कर कृषक कम समय में शानदार आमदनी कर सकते हैं। लेकिन, इसके लिए किसानों को मशरूम की खेती से जुड़ी सही जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है। 

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि मशरूम की खेती के लिए सरकार की ओर से भी आर्थिक तौर पर सहायता की जाती है। इसी कड़ी में अब बिहार सरकार ने राज्य के किसानों को मशरूम की खेती करने के लिए शानदार अनुदान की सुविधा उपलब्ध की है। दरअसल, बिहार सरकार की तरफ से मशरूम की खेती करने वाले कृषकों को तकरीबन 50 फीसद तक की सब्सिड़ी दी जाएगी, जिससे राज्य में मशरूम की पैदावार के साथ-साथ कृषकों की आय में भी बढ़ोतरी हो सके। मशरूम की खेती पर सब्सिडी की यह सुविधा सरकार एकीकृत बागवानी मिशन योजना के अंतर्गत उपलब्ध करवा रही है। ऐसी स्थिति में आइए बिहार सरकार की ओर से किसानों को मिलने वाली मशरूम की खेती पर अनुदान के विषय में विस्तार से जानते हैं।

मशरूम की खेती पर कितना अनुदान मिलेगा

बिहार सरकार के द्वारा एकीकृत बागवानी मिशन योजना के अंतर्गत मशरूम की खेती पर किसानों को सब्सिडी की सुविधा शुरू की गई है। सरकार की ओर से इस योजना के लिए कुछ दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं, जिसके अंतर्गत मशरूम उत्पादन इकाई का खर्चा लगभग 20 लाख रुपये तय किया गया है, जिसमें से राज्य के कृषकों को तकरीबन 10 लाख रुपये तक के अनुदान की सुविधा प्राप्त होगी। ऐसा कहा जा रहा है, कि सरकार की इस योजना में मशरूम स्पॉन एवं मशरूम कंपोस्ट पर 50 फीसद की आर्थिक सहायता मिलेगी।

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मशरूम की खेती पर अनुदान हेतु आवेदन प्रक्रिया

यदि आप किसान हैं, एवं अपने खेत में मशरूम की खेती करना चाहते हैं, तो बिहार सरकार की यह योजना आपके लिए बेहद लाभकारी साबित हो सकती है। राज्य के इच्छुक कृषक मशरूम की खेती पर मिलने वाले अनुदान का लाभ उठाने के लिए बिहार बागवानी की आधिकारिक बेवसाइट horticulture.bihar.gov.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त इस योजना से संबंधित ज्यादा जानकारी हांसिल करने के लिए किसान अपने समीपवर्ती कृषि विभाग से भी संपर्क साध सकते हैं।

इस राज्य में ड्रोन से छिड़काव करने पर किसानों को 50% प्रतिशत छूट

इस राज्य में ड्रोन से छिड़काव करने पर किसानों को 50% प्रतिशत छूट

बिहार राज्य में किसान भाइयों को फसलों पर दवा छिड़काव के लिए मोटा अनुदान दिया जाऐगा। किसान भाई इस अनुदान का लाभ उठाने के लिए कृषि विभाग के डीबीटी पोर्टल पर ड्रोन के माध्यम से दवा छिड़कने के लिए आवेदन कर सकते हैं।

​खेत में खड़ी फसल की शानदार उपज पाने के लिए किसान भाई विभिन्न प्रकार के कार्य करते हैं। कृषक फसल अच्छी हो फसल पर कीटों का प्रकोप ना हो इसके लिए उस पर कीटनाशक का स्प्रे करते हैं। आज हम आपको इसी से जुड़ी एक खुशखबरी सुनाने जा रहे हैं। 

फसल सुरक्षा योजना के तहत ड्रोन से छिड़काव पर 50 फीसद छूट 

फसल सुरक्षा योजना में पहली बार ड्रोन के जरिए से कीटनाशकों का छिड़काव शम्मिलित किया गया है। बिहार सरकार किसानों को प्रति एकड़ कीटनाशक छिड़काव करने के लिए 50% प्रतिशत रुपये देगी। कीटनाशकों के छिड़काव के लिए एक सेवा प्रदाता चयनित किया गया है। 15 जनवरी से आवेदन प्रक्रिया शुरू हो गई थी।

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रैयत एवं गैर-रैयत किसान दोनों ही इसका फायदा प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए कृषकों को आवेदन करने के दौरान शपथ पत्र या पंचायत प्रतिनिधि का सुझाव पत्र भी देना पड़ेगा। योजना के अंतर्गत किसान ड्रोन से छिड़काव को कम से कम एक एकड़ और अधिकतम 10 एकड़ में कर सकता है। 

किसानों की दवा स्प्रे पर कितने रुपए प्रति एकड़ लागत आऐगी  

किसानों को ड्रोन से दवा का छिड़काव करने पर 480 रुपये प्रति एकड़ की लागत आऐगी। सरकार इस पर पचास फीसद यानी 240 रुपये का अनुदान देगी। अन्य 240 रुपये किसान को देने होंगे। किसानों को कृषि विभाग व कृषि वैज्ञानिकों की ओर से अनुशंसित नहीं किए गए कीटनाशकों का उपयोग करना चाहिए। ड्रोन किसानों को आलू, मक्का, गेहूं, दलहन, तिलहन और अन्य फसलों पर कीटों को नियंत्रित करने में सहायता कर सकते हैं। कृषि विभाग के डीबीटी पोर्टल पर पंजीकृत किसानों को ही योजना का फायदा मिलेगा।

कहाँ करें ड्रोन से दवा स्प्रे के लिए आवेदन ? 

किसान कृषि विभाग के डीबीटी पोर्टल पर ड्रोन के जरिए दवा छिड़कने के लिए आवेदन कर सकते हैं। आवेदन करते वक्त आपको आधार कार्ड, जमीन का रकबा, फसल का प्रकार और जमीन की रसीद देनी होगी। प्राप्त आवेदनों का सत्यापन कृषि समन्वयक, पौधा संरक्षण कर्मी, प्रखंड तकनीकी एवं सहायक प्रबंधक करेंगे। चयनित एजेंसी ड्रोन के माध्यम से दवा का छिड़काव करेगी। ड्रोन से छिड़काव करने से किसानों का स्वास्थ्य खराब नहीं होगा। जबकि मशीनों से छिड़काव करने में ज्यादा पानी, श्रम और धन की जरूरत होती है।